Kamakhya Temple: काशी विश्वनाथ और उज्जैन महाकाल के बाद माता कामाख्या देवी मंदिर का होगा कायाकल्प, देखिए पहली झलक
Mata Kamakhya Devi Temple: शक्तिपीठों में से एक गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर का बहुत जल्द कायाकल्प होने वाला है. इसे ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ और मध्य प्रदेश के ‘महाकाल कॉरिडोर’ की तर्ज पर बनाया जाएगा.
(Source: PTI)
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Mata Kamakhya Devi Temple: भारत के असम राज्य के सबसे बड़े नगर गुवाहाटी में जल्द ही एक बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू होने जा रहा है. दरअसल, गुवाहाटी में अत्याधुनिक 'मां कामाख्या कॉरिडोर' (Mata Kamakhya Corridor) की रूपरेखा असम सरकार ने तैयार कर ली है. यानि जल्द ही राज्य सरकार 'मां कामाख्या कॉरिडोर' पर कार्य शुरू करेगी. मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने एनीमेटेड वीडियो शेयर कर लोगों का यहां के भविष्य की एक झलक भी पेश कर दी है.
CM ने शेयर की जानकारी
इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कल (मंगलवार) ट्वीट कर एक वीडियो साझा किया है. इस शक्तिपीठ पर देश-दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था है. मुख्यमंत्री ने वीडियो शेयर करते हुए कहा-निकट भविष्य में पुनर्निर्मित 'मां कामाख्या कॉरिडोर' कैसा दिखेगा, इसकी एक झलक साझा कर रहा हूं. सनद रहे इसकी रूपरेखा उत्तर प्रदेश के ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ और मध्य प्रदेश के ‘महाकाल कॉरिडोर’ की तर्ज पर तैयार की गई है.
জয় মা কামাখ্যা |
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) April 18, 2023
Sharing a glimpse of how the renovated Maa Kamakhya corridor will look like in the near future . #NewIndia pic.twitter.com/XP0swh2i3l
नीलाचल पर्वत पर 51 शक्तिपीठों में सबसे पवित्र ‘मां कामाख्या’ मंदिर
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मां कामाख्या या कामेश्वरी इच्छा की प्रसिद्ध देवी हैं, जिनका प्रसिद्ध मंदिर गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में स्थित नीलाचल पर्वत के मध्य में स्थित है. गुवाहाटी पूर्वोत्तर भारत में असम राज्य की राजधानी है. मान्यता है कि मां कामाख्या देवालय धरती पर मौजूद 51 शक्तिपीठों में सबसे पवित्र और सबसे प्राचीन है. यह भारत में व्यापक रूप से प्रचलित, शक्तिशाली तांत्रिक शक्तिवाद पंथ का केंद्र बिंदु है.
मां कामाख्या मंदिर परिसर में कई और मंदिर भी
नीलाचल पर्वत के इस भाग में मुख्य मंदिर तो मां कामाख्या का ही है लेकिन परिसर में कई और मंदिर भी हैं. जी हां, मुख्य मंदिर ‘मां कामाख्या’ के मंदिर के अलावा, कामाख्या (अर्थात मातंगी और कमला के साथ त्रिपुर सुंदरी), काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, दशमहाविद्या (देवता के दस अवतार) के मंदिर हैं. वहीं नीलाचल पहाड़ी के चारों ओर भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वर, केदारेश्वर, अमरतोकेश्वर, अघोरा और कौटिलिंग हैं, जिन्हें कामाख्या मंदिर परिसर भी कहा जाता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि स्वरूप केवल मां कामाख्या मंदिर का ही नहीं बदलेगा बल्कि दूसरे तमाम मंदिरों को भी नया रूप मिल जाएगा.
মই নিশ্চিত যে মা কামাখ্যা কৰিডৰ এটা যুগান্তকাৰী পদক্ষেপ হিচাপে বিবেচিত হ'ব।
— Narendra Modi (@narendramodi) April 19, 2023
কাশী বিশ্বনাথ ধাম আৰু শ্ৰী মহাকাল মহালোক আধ্যাত্মিক অভিজ্ঞতাৰ দিশলৈ পৰিৱৰ্তিত হৈ আহিছে। গুৰুত্বপূৰ্ণ কথাটো হ'ল ইয়াৰ লগতে পৰ্যটন তথা স্থানীয় অৰ্থনীতিও সমৃদ্ধ হৈছে। https://t.co/le8gmNrkXX
उल्लेखनीय है कि गुवाहाटी एक प्राचीन शहर है. इसे पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. इसका उल्लेख प्रागज्योतिषपुर के रूप में कई प्राचीन साहित्य और पांडुलिपियों में भी किया गया है. यही कारण है कि असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी कई प्राचीन मंदिरों से युक्त है. इनमें सबसे प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर ही है. इसलिए यहां आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है. नीलाचल की पहाड़ी, प्राचीन ग्रंथों में नीलकुटा, नीलगिरी, कामगिरी के रूप में वर्णित है. लोकप्रिय रूप से कामाख्या धाम को जाना जाता है, जहां देवी कामाख्या का प्रसिद्ध मंदिर गुवाहाटी के पश्चिमी भाग (91042/ पूर्व – 26010/ उत्तर) में स्थित है.
ब्रह्मा, विष्णु और शिव हिल से मिलकर बना 'नीलाचल पर्वत'
नीलाचल तीन भागों (यानी ब्रह्मा हिल, विष्णु हिल और शिव हिल) से मिलकर बना है. यह मंदिरों का शहर मैदानी इलाकों से लगभग 600 फीट ऊपर है. यहां भुवनेश्वरी मंदिर उच्चतम बिंदु पर स्थित है. जहां से गुवाहाटी शहर के मनोरम दृश्य का आनंद लिया जा सकता है. महाकाव्यों और पुराणों में लौहित्य के रूप में उल्लिखित शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी पहाड़ी के उत्तरी भाग में बह रही है. नीलाचला पहाड़ी में बाणदुर्गा मंदिर, जया दुर्गा मंदिर, ललिता कांता मंदिर, स्मरणकली मंदिर, गदाधर मंदिर, घंटाकर्ण मंदिर, त्रिनाथ मंदिर, शंखेश्वरी मंदिर, द्वारपाल गणेश के मंदिर जैसे कुछ अन्य मंदिर हैं. हनुमान मंदिर, पांडुनाथ मंदिर (बरहा पहाड़ी में स्थित) आदि. तभी कहा जाता है कि इस धाम से ब्रह्मपुत्र नदी का वेग जुड़ा हुआ है. नीलांचल की गोद में बसा ये वो मंदिर है जहां नारी शक्ति का उत्सव होता है. इतना अनमोल इतिहास समेटे हुए मां का ये सिद्ध धाम अब जल्द ही नए और भव्य स्वरूप में नजर आने वाला है. मां का यह अन्नय शक्तिपीठ बहुत जल्द नए रंग और रूप में दिखाई देखा.
(रिपोर्ट-पीबीएनएस)
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05:36 PM IST